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कुक्कस /कुकसा/कुकरा गोत्र की जानकारी

 


कुकरा /कुकसा  

वंश -चौहान 

कुलदेवी -शाकम्बरी 


गोत्र - कुक्कस

वंश -दाहिमा 

कुलदेवी -दधिमती माता 


कुछ कुक्कस परिवार स्वयं को कुकरा बताने लगे है 

इसकी जानकारी पंडे के पास दोनो ही परिवारों के

 द्वारा लिखवाई हुई है 


इसलिये हमारा सुझाव है कि कुक्कस /कुकसा/कुकरा को एक

 ही मानकर चले कल को ऐसा ना हो कि आप आपस मे अपने

 ही परिवार के बेटे बेटी के आपस मे  सगाई /विवाह कर बड़ी

 गलती कर बैठे 


इतिहास को जिस दिन आपने समझ लिया उस दिन

 आप जान जाएंगे कि ये गोत्र एक ही वंश की शाखाएं है 

जिन्हें कही चौहान कही दाहिमा वंश के बताया जाता हैं


जबकि एक सच ये है कि शाकम्भरी माता की स्थापना

 चौहान वंशज ने कि थी इसलिये दाहिमा क्षत्रिय

 भी शाकम्भरी माता को पूजते है 


दाहिमा क्षत्रियो को स्वयं के इतिहास की जानकारी अनेक

 कारणों से नही मिल पाई इसलिये बिखर गए है 

जिनका पुनः एक हो पाना सम्भव नही शायद कारण 

आधुनिक युग आधुनिक सोच के लोग

 इतिहास में रुचि कम ले रहे है 

और धन कमाने दिखावटी शानोशौकत के पीछे दौड़ रहे है


एक बात और नागौर और हांसी रियासत 

कभी दाहिमा क्षत्रियो को चौहान परिवार से मिली थी  



 

गोगना गोत्र की जानकारी

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*गोगना* - यह तुंवर वंश की खाप है !

 इसकी कुलदेवी योगेश्वरी है ! 

मैढ़ जाति के भाट बडवो के अनुसार 

इसकी कुलदेवी भद्रकलिका है  

जिसका मन्दिर हनुमानगढ़ में है!


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तारापुरिया गोत्र की जानकारी

 


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*तारापुरिया* -राठौड़ वंश में राव श्रीपुंज

 के 13 पुत्रों में एक पुत्र चाँद हुआ !

 उसके पुत्र ने तारापुर , तेहरा ,

बघलाना गांव बसाये ! 

तारापुर से तारापुरिया खाप

 का उदय हुआ !

 इस खाप की कुलदेवी नागणेचिया है !"



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धूपड़ गोत्र की जानकारी

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*धूपड़* - यह चौहान वंश में मोहिल शाखा की खाप है 

! इसकी कुलदेवी शाकम्भरी है ! 

भाटो के अनुसार चामुण्डा है !

 धूपड़ और डाँवर का मूल स्रोत एक ही है !



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जांगलवा गोत्र की जानकारी

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*जांगलवा* - यह पंवार वंश में सांखला शाखा की खाप है ! 


इसकी कुलदेवी सच्चियाय माता है ! 


पंवार वंश में बाघा के वंशज सांखला कहलाये ! 


बाघा के बैरसी , बैरसी के राणा राजपाल 


और राजपाल के महिपाल नामक पुत्र से जांगलवा खाप निकली ! 


ठा. बहादुरसिंह के अनुसार पंवार वंश के उदियादत्त 


के वंशज जांगलू क्षेत्र में रहते थे ! 


जांगलू में रहने से जांगलवा खाप निकली !" 


मैढ़ जाति के भाटो के अनुसार इनकी कुलदेवी चामुंडा है ! 


जिसका मन्दिर पाली जिले में है !


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नारनोली/सुगन्ध गोत्र की जानकारी

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*नारनोली/ सुगन्ध* -यह तुंवर वँश की खाप है ! 

इसकी कुलदेवी योगेश्वरी है ! 

इस खाप को सुगन्ध भी कहते है !

 महाराजा अनंगपाल के अनेक पुत्र 

झालरापाटन में रहे  !

 सुगन्ध नाम के उनके एक वंशज ने नारनोल

 में निवास किया 

उसकी सन्तान नारनोली कहलाई !



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तोसावड़ गोत्र की जानकारी

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*तोसावड़* - यह चौहान वंश की खाप है !

 इसकी कुलदेवी शाकम्भरी है ! 

मैढ़ जाति के भाटो के अनुसार आशापुरा है ! 

शाकम्भरी व आशापुरा दोनो एक ही देवी के नाम है !



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तूणगर गोत्र की जानकारी

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*तूणगर* -यह चन्द्र वंशी यादवो की खाप है ! 


वर्तमान बयाना से करीबन 23 कि. मी. दक्षिण में तवनगढ़ है 


जिसको त्रिभुवनगढ़ भी कहते है ! इस वंश में 


सम्राट विजयपाल के पश्चात उसके ज्येष्ठ पुत्र 


तिहुंनपाल (तवनपाल ) ग्याहरवीं शताब्दी में गद्दी पर बैठा ! 


इसने त्योहनगढ़ को अपनी राजधानी बनाया ! 


इनकी कुलदेवी योगेश्वरी /शारदा है !



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उदावत गोत्र की जानकारी

 


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*उदावत*- राठौड़ राव रणमल  ( रीड़मल ) 


के पुत्र जोधा के पौत्र व सूजा के पुत्र


 उदा के वंशज उदावत कहलाये !


 इनकी कुलदेवी नागणेचिया है !


 *गहलोत* के अनुसार राठौड़ वंशी राव 


कान्हदेव के पुत्र उदा से यह खाँप निकली है !


 राजपूत वंशावली में इसे हाड़ा 


चौहानों की शाखा बताई गई है !


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अग्रोया गोत्र की जानकारी

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अग्रोया - दिल्ली के तुंवर राजा अनंगपाल के वंश में भेरवाल नाम के राजा के भावड़ा नामक पुत्र हुआ ! भावडा के दो पुत्रों हुए ! इनमे से एक गढ़ अगरूव (वर्तमान अग्रोहा) जाकर बस गया ! दूसरा कडवल ग्राम में बस गया ! अग्रोहा गांव में बसने से अग्रोया गोत्र की प्रवर्ति  हुई ! ये कालका देवी की पूजा करते थे ! चन्द्रवंश में तुंवर वंश की कुलदेवी योगवश्वरी /योगमाया है ! देवी का प्राचीन मंदिर दिल्ली के कुतब मीनार के नजदीक है ! मैढ़ जाति के भाट -बडवो के अनुसार इस खाप की कुलदेवी महालक्ष्मी है ! इसका एक नाम चिलाय ,शाणोर ,सारंग देवी है जिसका मंदिर सरूड (पाटन) तंवरवाटी में है ! योगमाया देवी का एक मंदिर जोधपुर से लगभग 35 कि. मी. दूर दुग्गर नामक गाँव मे अवस्थित है !!


सुरजनवाल गोत्र की जानकारी

 सुरजनवाल गोत्र की जानकारी 


खाप - सुरजनवाल 

नख - तुंवर 

पुरखा - सुरजन 

निकास - दिल्ली 

कुलदेवी - संचाय माता 


उपरोक्त जानकारी मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार जाति का इतिहास पुस्तल से प्राप्त जानकारी अनुसार लिखी गई है 


हमारा लक्ष्य समाजिक हित मे प्राप्त समाज तक सत्य और सही जानकारी पहुंचना मात्र है 


बार बार सिर चकराना

 *बार-बार सिर का चकराना*:--- *कारण*--बीपी का असामान्य तौर पर बढ़ना या घटना,शरीर में पानी, सोडियम या हिमोग्लोबीन की कमी से भी हो सकता है या म...