विचारों की शक्ति

 *विचारों की प्रचंड शक्ति*


*जो मनुष्य जैसा विचार करता है, वह ठीक वैसा ही बन जाता है*


*जिन-जिन वस्तुओं का विचार तथा चिंतन किया जाएगा, वे वस्तुएँ निश्चित रूप से हमारे समीप चली आएँगी,*

 *अतः जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं, सदा उसी का विचार करो*

*इन्हीं विचारों में निर्मलता लाने के लिए दो महान गुणों की प्रशंसा हमारे मन में भरी पड़ी है*

*वे हैं "दया" तथा "क्षमा"* 


*"दया" के विचारों से निर्मलता आती है*

*तथा "क्षमा" से निर्मलता को स्थिरता प्राप्त होती है ।*

*बिना दया तथा क्षमा का भाव रखे, किसी को कभी भी शांति प्राप्त नहीं हो सकती ।*


*"सद्विचार" तथा "सद्भाव" ही हमारी सम्पत्ति हैं*

*जिस दिन तुम्हें विचारों की शक्ति का ठीक-ठीक ज्ञान हो जाएगा, उसी दिन अनेक शंकाएँ तथा समस्याएँ स्वतः हल हो जाएँगी ।*

*अच्छे कार्य करने से भी अच्छे विचारों की संस्कारवर्धक शक्ति अधिक तीव्र होती है ।*

*जैसी बातें मनुष्य विचारेगा, कुछ समय के पश्चात वह स्वयं देखेगा कि उसके विचारों के अनुकूल ही उसका वातावरण बनता जा रहा है ।*


*जिन-जिन परिस्थितियों व वस्तुओं का उसने चिंतन किया है, वे उसके अधिकाधिक समीप आ पहुँचती है ।*

*मनुष्य अपने विचारों से ही "उच्च" तथा "निम्न" बनता है ।*


*"विचार" ही कार्य की प्रेरक शक्ति है , "विचार" तथा "कर्म" का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है*

                                                                स्वयं-विचार-करें​

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