मोक्ष मार्ग

 मोक्ष मार्ग 

  

*मनुष्य शरीर ही मोक्ष धारण करता है । जो मनुष्य अपने दुःखों को दूर कर ले और दूसरों के दुःखों को दूर करने का काम करे ,वही मोक्ष का अधिकारी है । इसमें सफलता मिले न मिले ये महत्वपूर्ण नही है। ईमानदारी से प्रयास करे ,यह ज्यादा महत्वपूर्ण है ।*


*तीन तरह के दुःख पूरी दुनिया मे बताए गए है । (1) दैहिक दुःख (शरीर का दुख) , (2) दैविक दुःख (परमात्मा का दिया हुआ दुःख , (3) भौतिक दुःख (गरीबी का दुःख) । जो व्यक्ति इन तीनो दुखो से मुक्त हुवा और दूसरों को मुक्त करवाने में प्रयासरत है  ,वही व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी है ।*


*शरीर के दुख दूर करने की सबसे बड़ी भूमिका पेट की होती है। 90 प्रतिशत दैहिक दुःख पेट से सम्बंधित है । 10 प्रतिशत दुख ही पेट के अतिरिक्त होते है। इसलिये सबसे ज्यादा पेट का ध्यान रखना चाहिये । ये 90 प्रतिशत बीमारियों की संख्या लग्भग 150 है ।*



*हमारे समाज मे को -आप्रेशन था ,कम्पीटिशन नही था । भारत के लोगो का DNA धार्मिक चीजों से प्रेरित रहता है , गर्म देशों और ठन्डे देशों  का DNA बिल्कुल अलग होता है। दुनिया के सभी धर्म पूर्व से निकले है अर्थात एशिया से निकले है और एशिया के देश पश्चिम की तुलना में गरम है। भारत की भूमि मध्य मार्गियो की भूमि है न ज्यादा भोगी बने न ज्यादा त्यागी बनो ऐसा गीता में श्री कृष्ण ने कहा बताया जाता है। जन्म होने में पीड़ा होती है मृत्यु को पीड़ा रहित शास्त्रों में लिखा बताया गया है। भारतीय शास्त्रों में मृत्यु को उत्सव कहा गया है। इसलिये किसी भी व्यक्ति को बीमारियों की पीड़ा सहक़र न मरना पड़े ,कुछ ऐसी व्यवस्था करनी होगी।*


*भारतीय शास्त्रों के अनुसार भारत में या इसकी सभ्यता संस्क्रति में सभी लोगो के कर्म ,मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य में होता है अर्थात सभी पर्व उत्सव ,क्रिया -कलाप आदि मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से किये जाते है।*


*प्यासे को पानी पिलाना भूखे को भोजन खिलाना बहुत बड़ा धर्म का काम बताया गया है* 



*ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक चीजों का उपयोग करे। भारत के सभी लोग समृद्धशाली हो। एक व्यक्ति ठीक हो दुसरो को ठीक करे ।गलत खान पान या व्यर्थ की चिजो से बचे घर मे न लाये। अपने आस पास बनने वाली शुद्ध चीजों का ही प्रयोग करे।*



*अपनी मेहनत की कमाई का सोचसमझकर खर्च करे क्योकि आप गरीब होंगे तब ना अपनी जरूरतों को पूरा कर पाएंगे ना दुसरो की मदद कर सकते है और ऐसी स्थिति में देश भी गरीब बना रहेगा । किसी भी कार्य खान पान /पहनावा या लाइफ स्टाइल के चक्कर मे भेड़चाल नही चलनी चाहिये। खर्चो पर नियंत्रण न होने से आज बहुत से लोगो /परिवारों और देशों के हालात अच्छे नही अतः खर्च जरूरत में करे व्यर्थ के अत्यधिक खर्च से बचे ताकि आप आपका परिवार समाज राज्य देश सब खुशाल हो अंत मे तातपर्य केवल इतना कि शरीर को स्वस्थ रखे धन के महत्व को समझे और पाखण्ड वाद से बचे यही जीवन में सब पाना ही सबकुछ नही होता अपने अपनो के लिये देना भी देश /समाजहित में उन्नति की और जाता है यही सही मायने में मोक्ष कह सकते है* 


*मृत्यु के बाद का ना आपने देखा ना हमने वर्तमान जीवन में खुशहाली लाओ ताकि सभी स्वस्थ रहे खुश रहे उन्नति करे यही मोक्ष कहलायेगा अन्यथा बाद में पछताने से कुछ नही होगा*

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