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मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज भवन पुष्कर की प्रथम मंजिल का कार्य हो रहा है


पुष्कर में मैढ़ क्षत्रिय समाज

 भवन प्रथम मंजिल का हो

 रहे  कार्य को नीचे दिए लिंक

 पर देखे 

https://youtu.be/ViWPD2sfyMU 

काम की बात , पार्ट -1

 काम की बात , पार्ट 1 


हमारा मानना है देश मे चलने

 वाले बहुत से  नोट (रुपये) मुद्रा

 नही है 

बल्कि ये एक रसीद (विश्वास)

 मात्र है 

जिन पर लिखा होता है 

मैं धारक को इतने रुपये अदा

 करने का वचन देता हूं 

 सोचिये अगर ये लाइन नोट पर

 लिखी गई है तब इसका उद्देश्य

 क्या है मतलब यही की इस पर

 लिखी ये लाइन और रिजर्व बैंक

 अधिकारी के हस्ताक्षर सिद्ध

 करते है कि इन्होंने उस रसीद

 के बदले रुपये अदा करने का

 वचन दिया है जिस किसी के

 पास जितने रुपये का नोट होगा

 उसके बदले में आप हम समान

 खरीद बेच सकते है और

 जरूरत अनुसार एक दूसरे से

 या बैंकों से लेन देन कर सकते

 है 


कल को भारत सरकार अगर

 चाहे तो पहले कि भांति घोषणा

 कर तय समय सीमा में आपके

 रुपये वाले नोट बैंकों में जमा

 करवा सकती है और जो कोई

 सरकार द्वारा तय समय सीमा

 में उस नोट को ना तो बैंकों में

 जमा करवाएगा और ना ही

 अन्य माध्यम से बदलवा पायेगा

 उस व्यक्ति के पास जितने भी

 रुपये वाले वो नोट होंगे जिन्हें

 सरकार ने बैन किया हो वो सब

 रद्दी मात्र रह जाएंगे 


ऐसा क्यो होता है ऐसा इसलिये

 होता है ताकि सरकार देश मे

 चल रहे नकली नोटों पर अंकुश

 लगा सके या सरकार को उन

 नोटो से अन्य किसी प्रकार

 खतरा नजर आता हो जैसे कि

 जमा खोरी /भृष्टाचार के

 माध्यम अपराधी परवर्ती  के

 लोगो के पास इकट्ठा किये गए

 नोट हो 


अगर ये नोट मुद्रा नही तो फिर

 किस नोट को आप मुद्रा कह

 सकते है 


हमारा मानना है जिस नोट पर 


मैं धारक को इतने रुपये अदा

 करने का वचन देता हूं ये लाइन

 नही लिखी हो 


नोट पर रिजर्व बैंक अधिकारी

 के हस्ताक्षर नही बल्कि भारत

 सरकार के वित्त सचिव के

 हस्ताक्षर किए गए हो उस नोट

 को आप हम मुद्रा कह सकते है

 क्योकि उस नोट की गरेन्टी

 आपको बैंक नही बल्कि भारत

 सरकार देती है 



वर्तमान में आप सबने देखा

 होगा कि एक दो पांच रुपये के

 नोट बेहद कम चलन में है

 लेकिन फिर भी जिन नोट पर

 वित्त मंत्री के हस्ताक्षर हो उन

 नोट को भारत सरकार लेने से

 मना नही कर सकती बेसक

 कल को रिजर्व बैंक दिवालिया

 क्यो न हो जाए 


बैंक सरकार नही केवल सरकार

 की मान्यता प्राप्त एक संस्था है

 जिसका उद्देश्य नोट छापने  से

 अन्य बहुत से कार्य होते है जैसे

 कर्ज पर रुपया देना हो देश में

 बढ़ती /घटती महंगाई को

 नियंत्रित करना आदि होते है 


अगर भारत सच मे आजाद देश

 है तब तो भारत सरकार को

 चाहिये कि ऐसे नोट जारी करे

 जिन पर वित्त मंत्री के हस्ताक्षर

 हो और  मैं धारक को ---रुपये

 अदा करने का वचन नही दिया

 गया हो 


हम नही  जानते भारत सरकार

 इसको करने में कितनी सक्षम

 है लेकिन हमारा मानना है देश

 में नोटो के नामपर भृमजाल

 नही बल्कि सरकार से गारेंटी

 प्राप्त नॉट जारी होने चाहिये

 जिन्हें मुद्रा कहा जा सके 


आज के लिये इतना ही बाकी

 फिर कभी 


धन्यवाद 


ॐ नमो ---///----

      🌹

जीवन मे हार या जीत

 मनुष्य तब नही हारता जब

 उसके सामने दुश्मन अधिक

 बलशाली /सामर्थ्यवान हो 


बल्कि मनुष्य तब हारता है

 जब उसके पास आत्मविश्वास

 की कमी हो या उसके ही

 विश्वास पात्र उसको धोखा

 दे जाए 


क्योकि गैरो से इंसान सम्भल

 सकता है लेकिन उसके अपनो

 से सम्भल पाए जरूरी नही

 और कलयुग में देखा /सुना

 गया है कि अक्सर अपनो के

 द्वारा बहुतो को बर्बाद किया

 गया है फिर बर्बादी तन की हो

 मन की या अन्य किसी प्रकार

 की पर कर देते है बर्बाद 



जीवन की हार या जीत मायने

 नही रखती जरूरी है

 आत्मविश्वास जोकि 

ना बाजार में मिलता है 

ना कोई और दे सकता है

 ये तो इंसान के भीतर ही होता

 है आवश्यकता होती है 

इसको समझने की


जो इसे समझ गया निश्चित ही

 उसे कोई नही हरा सकता

 और जो इसको नही समझा

 वो जीत कर भी हार जाता है

 आत्मविश्वास


ॐ नमो---///---

      🌹

रख परमात्मा में आस्था


परमात्मा में है आस्था 


फिर


 उलझनों से नही वास्ता


सुख दुख तो जीवन मे आते जाते है 


 

कल सुख था आज दुख


आज दुख है कल सुख 


फिर 


मिलेगा कर कर्म अच्छे 


परमात्मा में रख आस्था 


ॐ नमो---///----

        🌹

बार बार सिर चकराना

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